Thursday, August 27, 2015

'सिंह इज ब्लिंग' की शूटिंग में बाल-बाल बचे अक्षय, डिम्पल भी हुईं चोटिल

Dangal Official Trailer 2015 | Amir Khan | Director by Nitesh Tiwari


चीन के सबसे रईस व्यक्ति से मुकेश अंबानी तक, किसने कितनी गंवाई संपत्ति








Dangal Official Trailer 2 | 2015 | Amir Khan | Director by Nitesh Tiwari


Singh is Bling Official Trailer | Akshay Kumar | Amy Jackson


गांव का दलीप राणा कैसे बन गया WWE का स्टार 'द ग्रेट खली'

 लंबाई 7 फिट एक इंच, वजन 157 किग्रा और इकलौता भारतीय वर्ल्ड हैवीवेट चैम्पियन। इतना काफी होगा दलीप सिंह राणा उर्फ द ग्रेट खली को परिभाषित करने के लिए। वे दुनिया के तमाम दिग्गज पहलवानों को वर्ल्ड रेसलिंग एंटरटेनमेंट (डब्ल्यूडब्ल्यूई) की रिंग में धूल चटाने वाले भारत के सबसे शक्तिशाली पहलवान हैं। दलीप सिंह राणा (द ग्रेट खली) का जन्म 27 अगस्त, 1972 को हिमाचल प्रदेश के धिराना गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम ज्वाला और मां का नाम टंडी देवी है। प्रोफेशनल रेसलिंग से संन्यास लेने के बाद अब खली पत्नी हरमिंदर कौर के साथ इंडिया में खूबसूरत जिंदगी जी रहे हैं। इस मौके पर dainikbhaskar.com आपको खली की निजी जिंदगी के बारे में कुछ रोचक बातें बताने जा रहा है।
रोड परियोजना' के लिए तोड़ते थे पत्थर
आज खली भले ही इंटरनेशनल WWE स्टार हैं, लेकिन वे कभी 'रोड परियोजना' के लिए पत्थर तोड़ने का काम करते थे। खली के गांव धिराना की औरतें उनसे भारी भरकम काम करवाती थीं। जैसे- जानवरों को उठाकर एक जगह से दूसरी जगह रखना, सामान उठवाना। इसी दौरान खली पर पुलिस ऑफिसर एमएस भुल्लर की निगाह पड़ी। उनकी सहायता से खली पंजाब पुलिस में एएसआई पद पर शामिल हुए।
अमित स्वामी का बड़ा योगदान, येट्स ने दी थी WWE में आने की सलाह
खली के लिए उनके दोस्त अमित स्वामी काफी लकी हैं। खली अपने दोस्त अमित स्वामी के साथ दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर अपने पसंदीदा पहलवान डोरियन येट्स से मिलने गए। येट्स खली का डीलडौल देखकर बेहद प्रभावित हुए और उन्हें रेसलिंग में किस्मत आजमाने का सुझाव दिया। येट्स का यही सुझाव खली को जापान ले गया। इसके बाद खली ने ‌पीछे मुड़कर नहीं देखा और अमेरिका जाकर 'डब्ल्यूडब्ल्यूई' में अपना अलग मुकाम बनाया।
किसी ने कहा जायंट सिंह तो किसी ने भीम
खली दुनियाभर में मशहूर डब्ल्यूडब्ल्यूई रेसलर 'हल्क होगन', जॉन सीना, 'द रॉक' सहित कई रेसलर्स के साथ काम कर चुके हैं। 'डब्ल्यूडब्ल्यूई' को राणा का नया नाम ढूढ़ने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ी। किसी ने उन्हें 'जायंट सिंह' कहा तो किसी ने उन्हें 'भीम' नाम से संबोधित किया।
इसलिए राणा बन गया खली
सात फीट एक इंच लंबे भीमकाय शरीर वाले खली मां काली के बड़े भक्त हैं। कुछ लोगों ने तो उन्हें 'भगवान शिव' नाम रखने की सलाह दी, लेकिन इस नाम को भी ख़ारिज कर दिया गया, क्योंकि इससे भारत में रहने वाले लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंच सकती थी। फिर उन्होंने 'मां काली' का नाम सुझाया और उनकी विनाशकारी शक्तियों के बारे में बताया। मां काली के नाम पर ही उन्हें फैन्स खली कहने लगे।

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‘Talvar’ Official Trailer | Irrfan Khan, Konkona Sen Sharma, Neeraj Kabi, Sohum Shah, Atul Kumar


Jazbaa | Official Trailer | Irrfan Khan & Aishwarya Rai Bachchan | 9th October


Wednesday, August 26, 2015

'शोले' के रहीम चाचा की अंतिम यात्रा में पहुंची थीं प्रियंका, दिखे थे कई सेलेब्स

1975 की सुपरहिट फिल्म 'शोले' के रहीम चाचा यानी एक्टर ए. के. हंगल 26 अगस्त 2012 को दुनिया को अलविदा कह गए थे। जब उनकी अंतिम यात्रा निकली तो शशि कपूर, प्रियंका चोपड़ा, दीया मिर्जा, अर्जुन रामपाल, अवतार गिल, डैनी डेन्जोंगपा, रंजीत, रजा मुराद और इला अरुण जैसी कई बॉलीवुड हस्तियां उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंची थीं। हालांकि, इस दौरान फिल्म 'शोले' में उनके साथ काम कर चुके कलाकार अमिताभ बच्चन, धर्मेंद्र और हेमा मालिनी नजर नहीं आए थे। बता दें कि ए. के. हंगल को बॉलीवुड अभिनेता ही नहीं, बल्कि फ्रीडम फाइटर के रूप में भी जाना जाता था। 1929 से 1947 तक उन्होंने आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण योगदान दिया था।

2006 में बॉलीवुड में सराहनीय योगदान के लिए पद्मभूषण से सम्मानित हुए हंगल साहब के पास आखिरी वक्त में इतना पैसा भी नहीं था कि वे अपना इलाज करा सकते। इस दौरान जया बच्चन, मिथुन चक्रवर्ती और सलमान खान जैसे कई स्टार्स उनकी मदद के लिए आगे आए। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने उनके इलाज के लिए 50 हजार रुपए दिए थे, लेकिन भाग्य को कुछ और ही मंजूर था। 26 अगस्त 2012 को हंगल साहब का निधन हो गया था। मुंबई में उनका अंतिम संस्कार किया गया था, जिसमें बॉलीवुड की कई हस्तियां शामिल हुई थीं।

'शोले' के अलावा कुछ चुनिंदा फिल्में, जिनमें ए. के. हंगल ने किया था काम :

शागिर्द (1967), बावर्ची (1972), अभिमान (1973), नमक हराम (1973), आपकी कसम (1974), दीवार (1975), चितचोर (1976), ईमान धरम (1977), बेशरम (1978), खानदान (1979), जुदाई (1980), नरम गरम (1981), शौक़ीन (1982), अवतार (1983), शराबी (1984), मेरी जंग (1985), डकैत (1987), खून भरी मांग (1988), फरिश्ते (1991), खलनायक (1993), दिलवाले (1994), शरारत (2002) और पहेली (2005)

यहां 1000 लोग डेली ऐसे बनाते 3 लाख+ लड्डू, इन्हें बेचने पर मिलते हैं 200 cr रु

1- देश के 4 बड़े मंदिरों (तिरुपति, शिर्डी साईं बाबा, सिद्धि विनायक और काशी विश्वनाथ) की एक दिन की औसत कमाई 8 करोड़ रुपए और हर मिनट कमाई 55 हजार रुपए है। इसमें से अकेले करीब 7 करोड़ रुपए दान तिरुपति मंदिर के पास आता है। इतना दान एक दिन में पाने वाले ये इकलौते भगवान हैं। तिरुपति मंदिर के भगवान 24 घंटे 70 किलो सोने की ज्वैलरी पहने रहते हैं।
2- तिरुपति मंदिर में करीब एक हजार लोग मिलकर 3 लाख से ज्या़दा लड्डू बनाते हैं। इन्हें बेचकर मंदिर को सालाना करीब 200 करोड़ रुपए की कमाई होती है।
3- 1200 नाईं महिलाओं के बाल काटने के लिए तिरुपति मंदिर में रखे गए हैं। इन बालों को बेचकर मंदिर को सालाना 220 करोड़ रुपए की कमाई होती है। मंदिर सालाना 850 टन बाल बेचता है। 283.5 ग्राम औसत वजन वाला महिलाओं का बाल 17900 रुपए में बिकता है। 453.6 ग्राम वजन के लंबे बालों के 29,900 रु मिलते हैं।

4- देश के मंदिरों के पास 50 लाख करोड़ रुपए की कीमत का कुल 22 हजार टन (करीब 20 लाख क्विंटल) सोना है।

5- इतने पैसे में पूरा देश 60 साल (21 हजार दिन) तक फ्री में अनलिमिटेड इंटरनेट यूज कर सकता है। (एक साल में भारतीय 82 हजार करोड़ रुपए का इंटरनेट इस्तेमाल करते हैं।)
अब जरा देश के इन 2 अनोखे मंदिरों पर नजर डालें...
1- चिलकुर बालाजी मंदिर
देश में एक मंदिर ऐसा भी है जहां दान देना सख्त मना है। वीजा टेंपल के नाम से मशहूर हैदराबाद के चिलकुर बालाजी मंदिर में कोई हुंडी या दान पात्र नहीं है। मंदिर अपना खर्च परिसर के बाहर बने पार्किंग से आए पैसों से चलाता है। मंदिर प्रबंधन का मानना है कि श्रद्धालुओं को ये पैसा मंदिर की दान पेटी में डालने की जगह गरीबों और जरूरतमंदों पर खर्च करना चाहिए। इससे ज्यादा पुण्य मिलेगा। हफ्ते में सिर्फ 3 दिन खुलने वाले मंदिर में 70 हजार से 1 लाख श्रद्धालु आते हैं। मान्यता है कि विदेश जाने की इच्छा रखने वाले लोग अगर इस मंदिर में 108 परिक्रमा करते हैं तो उन्हें वीजा जरूर मिल जाता है।
2- भ्रष्ट तंत्र विनाशक शनि मंदिर
कानपुर में स्थित ये देश का इकलौता ऐसा मंदिर हैं जहां न्यायधीश, नेता, सांसद, विधायक और मंत्रियों का प्रवेश वर्जित है। मंदिर प्रबंधन का मानना है कि देश में फैले भ्रष्टाचार के लिए यही लोग जिम्मेदार हैं। ऐसे में ये मंदिर के अंदर नहीं आ सकते हैं।
अब ये बताइए, क्या अापने कभी सोचा इन मंदिरों के पास आखिर पैसा आता कहां-कहां से है और ये इतने पैसे का करते क्या हैं? देश के 4 बड़े मंदिरों (तिरुपति, शिर्डी साईं बाबा, सिद्धि विनायक और काशी विश्वनाथ) के माध्यम से dainikbhaskar.comअापको बताने जा रहा है कि मंदिर आपके दान किए हुए पैसों का कैसे करते हैं इस्तेमाल... आगे की स्लाइड्स पर क्लिक कर पढ़ें मंदिरों से जुड़ी ये स्पेशल रिपोर्ट... साथ ही जानें, इस पैसे से और क्या-क्या मिल सकता है फ्री में...
दिलचस्प है कि dainikbhaskar.com ने इस एक्सक्लूसिव रिपोर्ट को बनाने के लिए मंदिरों से जुड़ी 9 हजार से ज्यादा पेज की अलग-अलग रिपोर्ट अपने सोर्स की मदद से मंगाई। इसकी स्टडी कर देश के 4 बड़े मंदिरों में आपके दान के इस्तेमाल के बारे में बताया। dainikbhaskar.com के पास 9 हजार पेज की ये रिपोर्ट मौजूद है।
कंटेंट सोर्स: चारों मंदिरों की ऑडिट रिपोर्ट। सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक मंदिर के खजाने की जांच के लिए बनाई कमेटी के चेयरमैन और पूर्व कैग विनोद राय। कर्नाटक के पूर्व देवस्थान (Muzrai) मंत्री प्रकाश बब्बाना हुकेरी। तिरुपति तिरुमला ट्रस्ट के चीफ अकाउंट ऑफिसर एस. रविप्रसादन, सिद्धि विनायक मंदिर ट्रस्ट के चेयरमैन नरेंद्र मुरारी राणा, काशी विश्वनाथ मंदिर के डिप्टी सीईओ वी. के. द्विवेदी, सुप्रीम कोर्ट के सीनियर लॉयर विराग गुप्ता, गोपाल सुब्रमण्यम की मंदिर पर आधारित रिपोर्ट और इंटरनेट रिसर्च।

भारत का रहस्यमय मंदिर, अंग्रेज इंजीनियर भी नहीं सुलझा सका इसकी गुत्थी

, भारत के दक्षिणी राज्य आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले के एक छोटे से ऐतिहासिक गांव लेपाक्षी में 16 वीं शताब्दी का वीरभद्र मंदिर है। इसे लेपाक्षी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह रहस्यमयी मंदिर है, जिसकी गुत्थी दुनिया का कोई भी इंजीनियर आज तक सुलझा नहीं पाया।
ब्रिटेन के एक इंजीनियर ने भी इसे सुलझाने की काफी कोशिश की थी, लेकिन वह भी नाकाम रहा। मंदिर का रहस्य इसके 72 पिलरों में एक पिलर है, जो जमीन को नहीं छूता। यह जमीन से थोड़ा ऊपर उठा हुआ है और लोग इसके नीचे से कपड़े को एक तरफ से दूसरे तरफ निकाल देते हैं।
मंदिर का निर्माण विजयनगर शैली में किया गया है। इसमें देवी, देवताओं, नर्तकियों, संगीतकारों को चित्रित किया गया है। दीवारों पर कई पेंटिंग हैं। खंभों और छत पर महाभारत और रामायण की कहानियां चित्रित की गई हैं।
मंदिर में 24 बाय 14 फीट की वीरभद्र की एक वाल पेंटिंग भी है। यह मंदिर की छत पर बनाई गई भारत की सबसे बड़ी वाल पेंटिंग है। पौराणिक कथाओं के अनुसार वीरभद्र को भगवान शिव ने पैदा किया था। मंदिर के सामने विशाल नंदी की मूर्ति है। यह एक ही पत्थर पर बनी हुई है और कहा जाता है कि दुनिया में यह अपनी तरह की नंदी की सबसे बड़ी मूर्ति है।
वीरभद्र मंदिर का निर्माण दो भाइयो विरन्ना और विरुपन्ना ने किया था। वे विजयनगर साम्राज्य के राजा अच्युतार्य के अधीन सामंत थे।
लेपाक्षी गांव का रामायण कालीन महत्व है। यहां के बारे में एक किवदंती प्रचलित है कि जब रावण सीता का हरण करके लिए जा रहा था, तब जटायु ने उससे युद्ध किया था। इसके बाद घायल होकर जटायु यहीं गिर गया था। भगवान राम ने जटायु को घायल हालत में यहीं पाया था और उन्होंने उससे उठने के लिए कहा था। ले पाक्षी का तेलुगु में अर्थ है- उठो, पक्षी।

Floyd Mayweather के पास है 386 करोड़ रुपए का लग्जरी कार कलेक्शन, कुछ ऐसी है लाइफ...


Monday, August 17, 2015

टीम इंडिया की शर्मनाक हार के बाद अचानक लिया गया ये फैसला

श्रीलंका के खिलाफ पहले टेस्ट में मिली शर्मनाक हार के बाद टीम इंडिया को कुछ बड़े कदम तो उठाने ही थे और ऐसा ही हुआ भी है। टीम इंडिया ने दूसरे टेस्ट से पहले अपनी टीम को 15 सदस्यीय से 16 सदस्यीय करने का फैसला ले लिया है। इसके लिए उन्होंने टीम में एक और खिलाड़ी को शामिल करने का फैसला लिया है जो अगले मैच में श्रीलंका के खिलाफ खेल भी सकता है। ये खिलाड़ी हैं ऑलराउंडर स्टुअर्ट बिन्नी। भारतीय चयनकर्ताओं ने दूसरे टेस्ट के बाद अब तक किसी खिलाड़ी को पूरी तरह से नजरअंदाज करने के संकेत तो नहीं दिए हैं लेकिन बिन्नी के रूप में एक अतिरिक्त खिलाड़ी को टीम से जरूर जोड़ दिया है। बीसीसीआइ ने ऐलान कर दिया है कि टीम में कोई खिलाड़ी चोटिल नहीं है इसलिए अब टीम 15 की जगह 16 सदस्यीय हो जाएगी। पहले टेस्ट की पहली पारी में शतक जड़ने वाले शिखर धवन के हाथ में चोट जरूर लगी है लेकिन फिलहाल उनको लेकर कोई औपचारिक घोषणा नहीं हुई है। ऐसे में कयास लगाए जा सकते हैं कि टीम में कुछ बदलाव देखने को मिलें। वहीं, दूसरी तरफ मुरली विजय भी अब फिट होते नजर आ रहे हैं। देखना दिलचस्प होगा कि दूसरे टेस्ट में वापसी के इरादे से उतरने वाली टीम इंडिया किन बदलावों से गुजरती है। -

Lenovo ने Transparent Display वाले स्मार्टफोन से पर्दा उठाया

Lenovo ने पिछले हफ्ते अपने ऑनलाइन ब्रैंड (जूक) Zuk को लांच करते हुए इस ब्रैंड का पहला स्मार्टफोन Zuk Z1 चीन में लांच कर दिया है। कंपनी ने एक ऐसा स्मार्टफोन पेश किया है जिसकी खासियत, इसका पारदर्शी डिस्प्ले है। चीनी सोशल मीडिया वेबसाइट Weibo पर Z1 के लांच इवेंट की कुछ इमेजेस पोस्ट हुई, इनमें इस मूल डिवाइस के स्क्रीन पर कोई फ्रेम नहीं नजर आ रहा और इसका डिस्प्ले एक शीशे की तरह पारदर्शी है। यह मूल फोन परंपरागत स्मार्टफोन के लगभग सभी फंक्शन परफॉर्म कर सकता है जैसे- इमेजेस को दिखाना, फोन- कॉल्स करना, म्युजिक बजाना और इत्यादि और इस डिवाइस में एंड्रायड जैसा इंटरफेस फीचर है। यद्दपि अभी तक Zuk के इस prototype स्मार्टफोन के पारदर्शी डिस्प्ले के बारे में किसी जानकारी का खुलासा नहीं किया गया है, बस डिस्प्ले पर एक लड़की की तस्वीर दिख रही है, जो हाइ पिक्सल डेंसिटी की ओर संकेत करती है। यह कहने की जरूरत नहीं है कि क्योंकि यह एक prototype स्मार्टफोन है, इसलिए अभी इसे मार्केट में नहीं देखा जा सकता, कम से कम अगले साल तक तो नहीं देखा जा सकता। साथ ही पारदर्शी डिस्प्ले बनाने वाली टेक्नोलॉजी, अभी फिलहाल हर जगह उपलब्ध नहीं है। Gizmo China द्वारा इस prototype पर से सबसे पहले पर्दा उठाया गया। लेनोवो ने अपने Zuk ब्रैंड के प्रोटोटाइप स्मार्टफोन की पारदर्शी डिस्प्ले के साथ पहली झलक दिखाकर सीधे Samsung और LG जैसे कंपनियों से प्रतिस्पर्धा की है। ये दोनों कंपनियां भी पहले foldable Youm displays, ट्रांसपेरेंट डिस्प्ले और बिना फ्रेम डिस्प्ले (bezel-less displays)वाले प्रोटोटाइप स्मार्टफोन पेश कर चुकी हैं। Zuk ने पिछले हफ्ते ही चाइना में Z1, नामक अपना पहला स्मार्टफोन, CNY 1,799 (करीब 18,250 रुपये) की कीमत के साथ लांच किया था। लेनोवो के इस नए ‘ओनली ऑनलाइन’ ब्रैंड का लक्ष्य चाइना में उभरे हुए Xiaomi से टक्कर लेना है। Zuk Z1में 5.5 इंच का फुल-एचडी (1080x1920 pixels) डिस्प्ले है और फ्रंट पैनल में होम बटन उपलब्ध है। ध्यान दें कि Z1 स्मार्टफोन में उपलब्ध होम बटन फिंगरप्रिंट स्कैनर के रूप में भी काम करेगा। इस डिवाइस 2.5GHZ Qualcomm Snapdragon 801 प्रोसेसर 3GB का रैम और Adreno 330 GPU के साथ है, डुअल नैनो-सिम कार्ड को सपोर्ट करने वाली यह डिवाइस एंड्रायड 5.1.1 लॉलीपॉप (Android 5.1.1 Lollipop) ऑपरेटिंग सिस्टम पर चलती है, इनबिल्ट स्टोरेज 64GB है, 13 मेगापिक्सल का रियर कैमरा और 8 मेगापिक्सल का फ्रंट कैमरा भी उपलब्ध है। इस हैंडसेट की बैटरी 4100mAh की है। लेनोवो ने अभी फिलहाल अपने online-only स्मार्टफोन ब्रैंड को चीन के बाहर लांच करने की योजना के विषय में कुछ नहीं बताया है।

Thursday, August 13, 2015

हाईटेक दीवार, पूल के अंदर म्यूजिक सिस्टम, कुछ ऐसा है बिल गेट्स का घर

फोर्ब्स ने टेक जगत के टॉप 20 अमीरों की सूची तैयार की है। इसमें माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक शीर्ष पर हैं। उनके पास 5.1 लाख करोड़ रुपए की संपत्ति है। दूसरे नंबर पर ओरेकल के चेयरमैन एलिसन हैं। उनकी नेटवर्थ 3.2 लाख करोड़ रुपए है। टेक जगत के तीसरे सबसे बड़े अमीर अमेजन के संस्थापक जेफ बेजो हैं। उनके बाद फेसबुक के सह-संस्थापक मार्क जुकरबर्ग, गूगल के सह-संस्थापक लैरी पेज और अलीबाबा के प्रमुख जैक मा हैं।
गेट्स ने वर्ष 2000 में माइक्रोसॉफ्ट का सीईओ पद त्याग दिया था। इसके बाद भी वे कंपनी में अलग-अलग जिम्मेदारियां निभाते रहे हैं। 59 वर्ष के बिल गेट्स आज कंपनी के टेक्नोलॉजी एडवाइजर हैं। इसके अलावा गेस्ट के घर से भी जुड़े कई फैक्ट्स हैं जिन्हें आप शायद ही जानते हों। इस मौके पर dainikbhaskar.com आपको दिखाने जा रहा है टेक जगत के सबसे अमीर आदमी बिल गेट्स का घर-
माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक और अरबपति बिल गेट्स का बंगला वॉशिंगटन में है। वॉशिंगटन झील के पास मौजूद इस बंगले का नाम शानाडू है। ये करीब 1.5 एकड़ (66,000 स्क्वेयर फीट) में फैला हुआ है, जिसमें 7 बेडरूम, 24 बाथरूम, 6 किचन, स्विमिंग पूल, 2,300 स्क्वेयर फीट का रिसेप्शन हॉल और 2,500 स्क्वेयर फीट में जिम का इंतजाम किया गया है। खूबसूरत इंटीरियर के साथ यह बंगला आधुनिक टेक्नोलॉजी से लैस है।
1. हाईटेक हैं दीवार-
माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक को टेक्नोलॉजी से इतना लगाव है कि वे अपने घर की दीवारों पर भी इसके प्रयोग से नहीं चूके। जी हां, बिल गेट्स के घर की दीवारें भी हाईटेक हैं। घर की दीवारों पर ऐसी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है जिससे इसे टच करके इसके आर्टवर्क को बदला जा सकता है।

बता दें कि, इसमें पहले से ही कई थीम्स और वॉल पेपर स्टोर किए गए हैं। जिन्हें गेट्स या उनके परिवार के लोग अपनी पसंद के हिसाब से बदलते रहते हैं। इसे तैयार करने में करोड़ों रुपए खर्च किए गए हैं।

मिथुन को छोड़ श्रीदेवी ने थामा था अपनी उम्र से 8 साल बड़े बोनी कपूर का हाथ

बॉलीवुड की मशहूर एक्ट्रेस में से एक श्रीदेवी 52 साल की हो गई हैं। वैसे, फिल्म 'सदमा' की याददाश्त खोई हुई मासूम लड़की का किरदार हो या फिर फिल्म 'मिस्टर इंडिया' में हवा हवाई गाकर अपने चुलबुलेपन से दर्शकों को सिनेमा के जादू का अहसास करवाने की बात, श्रीदेवी ने सिल्वर स्क्रीन पर निभाए अपने हर किरदार से दर्शकों को एंटरटेन किया। श्रीदेवी का नाम एक ऐसी एक्ट्रेस के रूप में लिया जाता है, जिन्होंने अपनी दिलकश अदाओं और दमदार अभिनय से अस्सी और नब्बे के दशक में दर्शकों पर अपनी छाप छोड़ी। साल 1996 में श्रीदेवी ने अपनी उम्र से लगभग 8 साल बड़े प्रोड्यूसर बोनी कपूर से शादी कर सबको चौंका दिया था। बोनी कपूर से पहले श्रीदेवी और मिथुन के अफेयर्स की चर्चाएं आम थीं।
4 साल की उम्र में किया डेब्यू
श्रीदेवी का जन्म 13 अगस्त 1963 को तमिलनाडु के एक छोटे से गांव मीनमपट्टी में हुआ था। श्रीदेवी ने महज चार साल की उम्र में एक तमिल फिल्म में अभिनय किया था। साल 1976 तक श्रीदेवी ने कई साउथ इंडियन फिल्मों में बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट काम किया। बतौर एक्ट्रेस उन्होंने अपने करियर की शुरुआत साल 1976 में आई तमिल फिल्म 'मुंदरू मुदिची' से की। श्रीदेवी ने अपने तीन दशक लंबे करियर में लगभग 200 फिल्मों में काम किया। इनमें 63 हिंदी, 62 तेलुगु, 58 तमिल और 21 मलयालम फिल्में शामिल हैं। श्रीदेवी ने अपनी शादी के लगभग 15 साल के बाद गौरी शिंदे के निर्देशन में बनी फिल्म 'इंग्लिश विंग्लिश' के साथ कमबैक किया। श्रीदेवी को भारत सरकार ने साल 2013 में पद्मश्री से सम्मानित किया। इसके अलावा उन्हें 'चालबाज' (1992) और 'लम्हे' (1990) के लिए बेस्ट एक्ट्रेस का फिल्मफेयर अवॉर्ड भी मिल चुका है।
'सोलहवां सावन' से किया बॉलीवुड डेब्यू
हिंदी फिल्मों में बतौर एक्ट्रेस श्रीदेवी ने अपने सिने करियर की शुरुआत साल 1979 में आई फिल्म 'सोलहवां सावन' से की। इस फिल्म को दर्शकों ने नकार दिया। श्रीदेवी वापस साउथ इंडियन फिल्मों की ओर लौट गईं। साल 1983 में श्रीदेवी ने एक बार फिर फिल्म 'हिम्मतवाला' के जरिए बॉलीवुड में कदम रखा और फिर यहीं की होकर रह गईं। फिल्म की सफलता के बाद बतौर एक्ट्रेस वह हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने में कामयाब रहीं। इस फिल्म में उनके अपोजिट बॉलीवुड के जंपिंग जैक यानी जितेन्द्र लीड रोल में थे।
'नगीना', 'मिस्टर इंडिया' और 'चालबाज', हर फिल्म में अलग अंदाज
साल 1986 में रिलीज फिल्म 'नगीना' श्रीदेवी के सिने करियर की अहम फिल्म साबित हुई। इस फिल्म में श्रीदेवी ने इच्छाधारी नागिन का किरदार निभाया। इस फिल्म का गाना 'मैं तेरी दुश्मन दुश्मन तू मेरा...' में श्रीदेवी ने अपने बेहतरीन डांसिंग स्किल्स दिखाए। खास बात यह है कि इसके बाद भी नाग-नागिन जैसे विषय पर कई फिल्में बनीं, लेकिन किसी को भी 'नगीना' जैसी सफलता हासिल नहीं हो सकी। साल 1987 में आई फिल्म 'मिस्टर इंडिया' श्रीदेवी की सबसे कामयाब फिल्म साबित हुई। साल 1989 में श्रीदेवी के सिने करियर की एक और अहम फिल्म 'चालबाज' रिलीज हुई। इस फिल्म में श्रीदेवी ने दो जुड़वां बहनों की भूमिका अदा की थी।
1996 में बोनी कपूर से शादी कर सबको चौंकाया
समय-समय पर श्रीदेवी का नाम उनके को-एक्टर्स के साथ जुड़ता रहा। एक दौर में श्रीदेवी और मिथुन चक्रवर्ती के अफेयर्स के किस्से भी खूब मशहूर हुए, लेकिन श्रीदेवी ने साल 1996 में अपने फैन्स और फिल्म इंडस्ट्री के लोगों को चौंकाते हुए अपने से 8 साल बड़े उम्र के बॉलीवुड प्रोड्यूसर बोनी कपूर के साथ शादी कर ली। कहा जाता है कि श्रीदेवी यह शादी टालना चाहती थीं, लेकिन कुछ ऐसा हुआ कि उन्हें यह शादी करनी ही पड़ी। ऐसा भी कहा जाता है कि श्रीदेवी अपनी शादी से पहले ही प्रेग्नेंट हो चुकी थीं। मीडिया में उस समय चली खबरों के अनुसार जब श्रीदेवी की शादी फिल्म प्रोड्यूसर बोनी कपूर से हुई, उस दौरान वह प्रेग्नेंट थीं।
जाह्नवी और खुशी की मां हैं श्रीदेवी
अपने जमाने की फेमस एक्ट्रेस श्रीदेवी और प्रोड्यूसर बोनी कपूर की दो बेटियों हैं। एक जाह्नवी हैं जबकि दूसरी बेटी का नाम खुशी कपूर है। गौरतलब है कि श्रीदेवी, बोनी की दूसरी बीवी हैं। पहली बीवी मोना सूरी कपूर से बोनी को एक बेटा अर्जुन कपूर और एक बेटी अंशुला कपूर हैं।

अक्षय के बेटे ने देखी 'ब्रदर्स', स्क्रीनिंग पर शाहरुख की बेटी भी मौजूद

मुंबई के लाइटबॉक्स थिएटर में बीते बुधवार अपकमिंग फिल्म 'ब्रदर्स' की स्पेशल स्क्रीनिंग रखी गई। इस मौके पर लीड एक्टर अक्षय कुमार की वाइफ ट्विंकल खन्ना, बेटे आरव के साथ शाहरुख खान की बेटी सुहाना भी थिएटर से बाहर निकलते हुए क्लिक की गईं।
'ब्रदर्स' में लीड किरदार निभा रहे अक्षय कुमार, सिद्धार्थ मल्होत्रा और एक्ट्रेस जैकलीन फर्नांडीज ने भी स्क्रीनिंग अटेंड की। इसके अलावा आशुतोष राणा वाइफ रेणुका शहाणे के साथ पहुंचे। प्रोड्यूसर करन जौहर, एक्टर किरण कुमार और एक्ट्रेस नफीसा अली भी थिएटर से बाहर निकलते हुए देखे गए।
बता दें, करन मल्होत्रा के डायरेक्शन में बनी फिल्म 'ब्रदर्स' दो फाइटर भाइयों की कहानी है, जिनका किरदार अक्षय कुमार और सिद्धार्थ मल्होत्रा ने निभाया है। इनके अलावा फिल्म में जैकलीन फर्नांडीज और जैकी श्रॉफ भी अहम रोल में दिखेंगे।

Wednesday, August 12, 2015

Srimanthudu Full Songs Jukebox || Mahesh Babu, Shruthi Hasan, Devi Sri Prasad


Sun Saathiya - Disney's ABCD 2 | Varun Dhawan - Shraddha Kapoor | Sachin - Jigar


Chal Wahan Jaate Hain Full VIDEO Song - Arijit Singh | Tiger Shroff, Kriti Sanon | T-Series


Shaandaar | Official Trailer | Alia Bhatt & Shahid Kapoor


'Main Hoon Hero Tera' VIDEO Song - Salman Khan | Hero | T-Series


Best Performance of krishna and sudesh comedy circus 2013


Best Bollywood Comedy Scenes | Hindi Film Comedy Scenes | Comedy scenes from Full Hindi Movies


Bajrangi Bhaijaan Movie | Salman Khan, Kareena Kapoor Khan | Full Promotions Video


देखें, कपिल शर्मा की पहली फिल्‍म का मजेदार पोस्‍टर

अपने टीवी शो में जबरदस्त कॉमेडी से हंसा-हंसा कर लोटपोट करने वाले कपिल शर्मा जल्द बॉलीवुड डेब्यू भी करने वाले हैं। उनकी पहली फिल्म 'किस किसको प्यार करूं' 25 सितंबर को रिलीज होने को तैयार है, जिसको देखने के लिए उनके फैंस जरूर बेकरार होंगे। 
फिलहाल उन्होंने ट्वीट कर अपनी इस फिल्म का एक मजेदार पोस्टर जारी किया है, जो ये रहा। आप खुद ही देख लीजिए। उन्होंने यह भी बताया है कि इसका ट्रेलर 13 अगस्त को लॉन्च होने वाला है।
यह एक कॉमिक फैमिली एंटरटेनर फिल्म है और इसमें एली अवराम, मंजरी फडनीस, अरबाज खान, वरुण शर्मा जैसे सितारे भी नजर आएंगे। इस फिल्म को अब्बास-मस्तान ने निर्देशित किया है। वो काफी समय बाद कोई कॉमेडी फिल्म लेकर आ रहे हैं। 

मालगाड़ी हुई लापता, 17 दिन से कोई खबर नहीं


जोधपुर से 27 जुलाई को मुंद्रा पोर्ट के लिए चली मालगाड़ी लापता हो गई है। अधिकारियों को पता ही नहीं है कि यह ट्रेन कहां चली गई। ट्रेन के 90 कंटेनरों में करीब नौ करोड़ रुपए का माल है, जिसे एक्सपोर्ट किया जाना है। इसे तीन दिन में लक्ष्‍य पर पहुंचना था। मगर, 17 दिनों बाद भी उसका कोई अता पता नहीं है।
ट्रेन का ऑनलाइन स्टेटस दो अगस्त से अहमदाबाद में बता रहा है। हालांकि, वहां वह ट्रेन नही है। एक्सपोर्टर्स को जब सामान की डिलीवरी नहीं हुई, तो उन्‍होंने इस मामले को उठाया। मामले की जानकारी उस वक्‍त हुई, जब जोधपुर के एक्सपोर्टर रंजन कंसारा ने इसकी शिकायत की।
दरअसल, उन्‍होंने 14 जुलाई को कंटेनर बुक किया था, जिसे 27 जुलाई की ट्रेन से रवाना किया गया। मगर, उनका माल 30 जुलाई तक नहीं पहुंचा, तो वह सक्रिय हुए। पता चला कि ट्रेन पोर्ट तक पहुंची ही नहीं है। जब इसके बारे में उन्होंने कॉनकोर डिपो में शिकायत की, तो पता चला कि दस दिन से ट्रेन का स्टेटस अहमदाबाद का बता रहा है। मगर, ट्रेन वहां नहीं थी। 
डिपो के सीएमडी को लिखित शिकायत के बाद ट्रेन ढूंढने का काम शुरू हुआ। जोधपुर स्थित कॉनकोर के टर्मिनल मैनेजर पारस गोयल का कहना है कि बारिश की वजह से ट्रेन लेट हुई है। ट्रेन का पता लगाने के लिए एक कर्मचारी को भेजा है। इस बीच मजेदार बात यह है कि जोधपुर से पांच अगस्त को कंटेनरों के साथ रवाना हुई ट्रेन मुंद्रा पोर्ट पर पहुंच चुकी है।
लापता हुई ट्रेन को जोधपुर से ले जाने वाले ड्राइवर भी लौट आए हैं। उन्होंने दूसरे जोन के ड्राइवरों के हवाले ट्रेन की थी, जिनसे संपर्क नहीं हो पा रहा है। कॉनकोर प्रबंधन के पास दूसरे जोन के ड्राइवरों के मोबाइल नंबर नहीं हैं।

पैसों की कमी से सुंदर पिचाई और अंजलि नहीं कर पाते थे बात, फिर भी जवां रहा प्यार

2004 से लेकर अब तक 2015 यानी पूरे 11 साल में गूगल के साधारण कार्यकर्ता से CEO तक का सफर सुंदर पिचाई के लिए आसान नहीं था, इन 11 सालों में उन्होंने  ना सिर्फ कंपनी का विश्वास जीता है बल्कि गूगल की कई सर्विसेज को एक नए आयाम पर पहुंचाया है. कल हमने आपको बताया कि कैसे गूगल के सभी फ्रंट प्रोडक्ट के इंचार्ज से पिचाई को सोमवार एक इवेंट के दौरान बतौर गूगल CEO इंट्रोड्यूस किया. वहीं गूगल ने अपनी नई Mother कंपनी अल्फाबेट.इंक का भी ऐलान किया जिसमें गूगल बतौर सहायक कंपनी काम करेगा.
पिचाई एक टेक लीडर हैं, गूगल में उनके हुनर और उनकी योग्यता से तो आप सभी वाकिफ हैं पर अपने काम के लिए इतने फोकस्ड इंसान की लव लाइफ के बारे में शायद आप नहीं जानते होंगे. आज हम आपको टेक दिग्गज सुंदर पिचाई की लव लाइफ के बारे में बताने जा रहे हैं. 42 साल के पिचाई ने अपनी लॉन्ग-टाइम गर्लफ्रेंड आंजलि से शादी रचाई है.
अंजलि राजस्थान की कोटा की रहने वाली हैं, दोनों की मुलाकात आईआईटी खड्गपुर में हुई थी कॉलेज के फाइनल ईयर में पिचाई ने अंजलि को प्रपोज किया इसके बाद दोनों के बीच नए रिश्ते की शुरुआत हुई.  आईआईटी के बाद सुंदर पिचाई आगे की पढ़ाई के लिए अमेरिका चले गए लेकिन अंजलि भारत में ही रहीं. पिचाई के पारिवारिक करीबी ने बताया जब पिचाई अमेरिका में थे तो पैसों की कमी के कारण दोनों कई-कई महीनों तक बात नहीं किया करते थे.  अपनी  पढ़ाई पुरी करते ही पिचाई ने  सेमीकंडक्टर फर्म ज्वॉइन की और  आंजलि के माता-पिता से इजाजत लेकर शादी कर ली   दोनों के दो बच्चे एक बेटा और एक बेटी हैं,

पिचाई ने अपने एक इंटरव्यू में बताया था कि उनके इस मुकाम तक पहुंचने में उनकी पत्नी अंजलि ने बड़ी भूमिका निभाई है. पिचाई अपने पूरे परिवार के साथ  कैलिफोर्निया में रहते हैं. सुंदर पिचाई ने अमेरिकी नागरिकता स्वीकार  कर ली है. 

'बैंगिस्तान' का बजा गया बैंड, 'दृश्यम' कमा रही सबसे ज्यादा


वैसे तो पिछले दिनों बॉक्स ऑफिस पर रिकॉर्ड कमाई के आंकड़े लगातार बरस रहे थे। मगर इससे परे एक बार फिर वहां पर सन्न्ाटा पसरा है। यह काम किया है हालिया रिलीज फिल्में 'बैंगिस्तान' और 'जांनिसार' ने।
रिलीज से पहले दोनों ही फिल्मों का कोई खास प्रमोशन नहीं किया गया था। 'बैंगिस्तान" तो भी खबरों में थी मगर 'जांनिसार' तो बिलकुल भी नहीं।
'बैंगिस्तान' के बारे में बात की जाए तो इसके प्रोमोज में ही ज्यादा बताया नहीं गया था। ऐसे में कोई इसमें इंट्रेस्ट लेता इसकी संभावना कम ही थी। पहले वीकेंड में जैसे-तैसे फिल्म ने 4 करोड़ का बिजनेस किया है।
रितेश देशमुख की पिछली 11 फिल्मों में से 8 फिल्में तो सफल रही हैं। इनमें से 'एक विलेन" और 'लाइ भारी' तो ब्लॉक बस्टर रही हैं। केवल 'हमशक्ल्स' ऐसी फिल्म थी जिससे निराशा हुई थी लेकिन यह फिल्म भी 65 करोड़ रुपए कमाने में कामयाब रही थी।
'जांनिसार' वीकेंड में 50 लाख रुपए का आंकड़ा भी पार नहीं कर पाई है। यदि फिल्म अगले सप्ताह नजर आती है तो आश्चर्य होगा। दूसरी तरफ अजय देवगन की फिल्म 'दृश्यम' इस वीकेंड पर 12 करोड़ का बिजनेस किया। अब तक फिल्म का कलेक्शन 60 करोड़ रुपए के आंकड़े पर पहुंच चुका है। बीते शुक्रवार से सबसे ज्यादा कमाई करने वाली हिंदी फिल्म 'दृश्यम' हो गई है। दूसरे नंबर पर 'बजरंगी भाईजान' कमा रही है और फिर है 'बाहूबली'।
ट्रेड जानकार अमोद मेहरा ने कहा 'बैंगिस्तान बड़ी फ्लॉप रही है। प्रोड्यूसर्स को भारी नुकसान होगा। 'जानिसार' पूरी तरह से धुल चुकी है। कुछ थिएटर से इसे हटा दिया गया है। अजय देवगन की 'दृश्यम' अभी भी बनी हुई है।'
उन्होंने बताया 'मलयालम फिल्म की रीमेक इस फिल्म को रिलीज हुए तीन हफ्ते हो चुके हैं। पिछले सात दिनों में फिल्म ने 28.09 करोड़ रुपए कमाए हैं। फिल्म का टोटल कलेक्शन 58.12 करोड़ रुपए का हो चुका है।'

बॉक्स ऑफिस
बैंगिस्तान - 3.77 करोड़ (ओपनिंग वीकेंड) 
दृश्यम - 28.09 करोड़ ( दूसरा सप्ताह , ओवरऑल 58.12 करोड़) 
बजरंगी भाईजान - 17.77 करोड़ ( चौथा सप्ताह, ओवरऑल 310 करोड़) 
बाहुबली - 4.49 करोड़ ( पांचवा सप्ताह, ओवरऑल 108 करोड़)

चीन में जन्मा दो मुंह वाला कोबरा, अपना ही सिर निगलने की करता है कोशिश


दुनियाभर में कई ऐसे अजीबोगरीब मामले सामने आते हैं, जो लोगों को हैरान करने वाले होते हैं। ऐसा ही एक मामला चीन के यूलिन सिटी के स्नेक फार्म में सामने आया है। दरअसल, इस फार्म में 10 दिन पहले एक दोमुंहे कोबरा का जन्म हुआ है। वह पूरी तरह से सुरक्षित है। हालांकि, माना जाता है कि इस तरह के जीवों की उम्र काफी कम होती है, बावजूद इसके ये सांप जिंदा है।
बता दें कि चीन में जहरीले सांपों को पाला जाता है, इसके लिए कई जगहों पर लोगों ने फार्म भी बनाए हैं। इन सांपों की चमड़ी से बैग बनाए जाते हैं, साथ में इसके मीट को चीन में खूब पसंद किया जाता है। इसके अलावा मेडिसिन के लिए भी इन सांपों का उपयोग किया जाता है। यूलिन के रहने वाले स्नेक ब्रिडर मिस्टर हॉन्ग ने बताया कि उनके फार्म में 10 दिन पहले इस दोमुंहे सांप का जन्म हुआ था और वह लगातार बढ़ रहा है।
हॉन्ग के मुताबिक, शुरू में ये सांप कुछ भी नहीं खा रहा था, इस कारण से ऐसा लगा कि ये जिंदा नहीं बचेगा, लेकिन अब खाने लगा है। इसके दोनों मुंह दो अलग-अलग दिशाओं में हैं और एक दूसरे को निगलने की कोशिश करते हैं। मिस्टर हॉन्ग ने इस अनोखे सांप को नान्निंग जू को सौंप दिया है, ताकि बेहतर तरीके से इसकी देखभाल की जा सके।

आजादी के बाद इन पांच कामों से बदल गई भारत की तकदीर और सूरत


Tuesday, August 11, 2015

दुनिया के 7 महंगे मेटल, इस Metal के 1 ग्राम की कीमत है 393 लाख करोड़ रु.

 एंटीमैटर
सोने की कीमतें लगातार गिर रही हैं। दुनिया भर में सोने को निवेश और खरीदारी के लिए बेहतर माना जाता है। कीमती धातू होने के चलते इन दिनों सबसे अधिक डिमांड भी इसकी ही है। यही वजह है आम आदमी से लेकर देश की सरकारें तक सोना को ही रिजर्व के तौर पर रखती हैं। लेकिन, आपको जानकर हैरानी होगी सोना दुनिया की सबसे कीमती धातुओं में शामिल नहीं है। विश्व में कुछ ऐसी कमोडिटीज हैं, जो बहुत महंगी है। ऐसा ही एक मेटल है एंटीमैटर। एंटीमैटर के एक ग्राम की कीमत 6.25 लाख करोड़ डॉलर है, यानी 393.75 लाख करोड़ रुपए है। वहीं, सोने की 25200 रुपए प्रति दस ग्राम है।
क्या है ‘एंटीमैटर’
वैज्ञानिकों का कहना है कि एंटीमैटर दरअसल एक पदार्थ के ही समान है, लेकिन उसके एटम के भीतर की हर चीज उलटी है। एटम में सामान्य तौर पर पॉजिटिव चार्ज वाले न्यूक्लियस और नेगेटिव चार्ज वाले इलैक्ट्रोंस होते हैं, लेकिन एंटीमैटर एटम में नेगेटिव चार्ज वाले न्यूक्लियस और पॉजिटिव चार्ज वाले इलैक्ट्रोंस होते हैं। ये एक तरह का ईधन है, जिसे अंतरिक्षयान और विमानों में किया जाता है।
एंटीमैटर की ताकत
वैज्ञानिकों का मानना है कि सैद्धांतिक तौर पर करीब आधा किलो एंटीमैटर में दुनिया के सबसे बड़े हाइड्रोजन बम से भी ज्यादा विध्वंसक ताकत होती है। लेकिन, इससे उपयोगी ऊर्जा प्राप्त करने के लिए काफी बड़ी राशि की जरूरत होती है। नासा के प्रवक्ता के अनुसार, इस वक्त 1 मिलीग्राम एंटीमैटर बनाने में 250 लाख रुपए का खर्च बैठेगा। अनुसंधान आदि कार्यो के लिए एक मिलीग्राम काफी ज्यादा है, लेकिन बड़े उपयोग के लिए इतनी मात्रा की जरूरत पड़ेगी। व्यावसायिक तौर पर इस्तेमाल के लिए एंटीमैटर की कीमत को काफी नीचे लाना पड़ेगा।
कहां से आता है एंटीमैटर
एंटीमैटर एक काल्पनिक तत्व नहीं, बल्कि असली तत्व होता है। इसकी खोज बीसवीं शताब्दी में हुई थी। ये अंतरिक्ष में ही छोटे-छोटे टुकड़ों में मौजूद है। जिस तरह सभी भौतिक वस्तुएं मैटर यानी पदार्थ से बनती हैं और मैटर में प्रोटोन, इलेक्ट्रॉन और न्यूट्रॉन होते हैं, उसी तरह एंटीमैटर में एंटीप्रोटोन, पोसिट्रॉन्स और एंटीन्यूट्रॉन होते हैं। एंटीमैटर को बनाने के लिए लैब में वैज्ञानिक इसे दूसरे पदार्थों के साथ मिलाकर थोड़ा रिफाइन करते हैं। ताकि इसका इस्तेमाल ईधन के रूप में हो सके। अंतरिक्षयान और परमाणु हथियारों के लिए भी इसका इस्तेमाल होता है। रॉकेट लॉन्चर में भी है इसकी उपयोगिता है।
क्या है खासियत
1 ग्राम एंटीमैटर को बेचकर विश्व के 100 छोटे देशों को खरीदे जा सकते हैं। 1 ग्राम एंटीमैटर की कीमत 393.75 लाख करोड़ रुपए है। नासा के मुताबिक, एंटीमैटर धरती का सबसे महंगा मटीरियल है। एंटीमैटर जहां बनता है, वहां दुनिया की सबसे बेहतरीन सुरक्षा व्यवस्था मौजूद है। इतना ही नहीं, नासा जैसे संस्थानों में भी इसे रखने के लिए एक पुख्ता सुरक्षा घेरा है। कुछ खास लोगों के अलावा, एंटीमैटर तक कोई भी नहीं पहुंच सकता है। दिलचस्प है कि एंटीमैटर का इस्तेमाल अंतरिक्ष में जाने वाले विमानों के ईधन में किया जाता है।
क्यों महंगा है एंटीमैटर
एंटीमैटर को इसलिए सबसे महंगा माना जाता है, क्योंकि इसे बनाने वाली टेक्नोलॉजी सबसे ज्यादा खर्चीली है। 1 मिलीग्राम एंटीमैटर बनाने में 250 लाख रुपए तक लग जाते हैं। इसका इस्तेमाल अस्पतालों और रेडियोधर्मी अणुओं को पॉजिट्रान एमिशन टोमोग्राफी के रूप में मेडिकल इमेजिंग में भी होता है। इसका इस्तेमाल परमाणु हथियारों में भी किया जाता है।

गूगल के रिस्ट्रक्चरिंग अनाउंसमेंट से इन्वेस्टर्स ने कुछ मिनटों में कमाए 1.28 लाख करोड़

सोमवार को गूगल ने बड़ी रीस्ट्रक्चरिंग का अनाउंसमेंट किया है। इस खबर के बाद कंपनी के शेयर में जोरदार उछाल देखने को मिला है। नैस्डैक पर लिस्टेड गूगल का शेयर 6.20 फीसदी चढ़कर 673 डॉलर प्रति शेयर के प्राइस पर क्लोज हुआ है। आखिरी एक घंटे की ट्रेडिंग के दौरान गूगल की मार्केट कैप में 2000 करोड़ डॉलर यानि 1.28 लाख करोड़ रुपए का इजाफा हुआ है। जिसकी सीधा फायदा उसके इन्वेस्टर्स को मिला है। ऐसा इसलिए हुआ है कि अनाउंसमेंट के बाद कंपनी के शेयर्स में तेजी से इजाफा हुआ है। इसकी वजह से उसके शेयरहोल्डर्स को कुछ ही मिनटों में अपने शेयर्स से मोटी कमाई का मौका मिल गया है।
कंपनी के प्रॉफिट में 27 फीसदी की ग्रोथ
बाजार के एक्सपर्ट्स बताते है कि नई रीस्ट्रक्चरिंग से निवेशकों में बड़ा उत्साह देखने को मिल रहा है। साथ ही कंपनी के अप्रैल-जून क्वॉर्टर के नतीजे भी शानदार रहे थे। कंपनी की आय 11 फीसदी बढ़कर 1770 करोड़ डॉलर (1,13,280 करोड़ रुपए हो गई है। वहीं, कंपनी का मुनाफा 27 फीसदी बढ़कर 480 करोड़ डॉलर (30,720 करोड़ रुपए) रहा था। जिसका असर कंपनी के शेयर पर देखने को मिला है। एक महीने के दौरान शेयर 20 फीसदी तक चढ़ चुका है।

Happy Birthday Jacqueline Fernandez!


Monday, August 10, 2015

McDonalds के बर्गर को टक्कर देगी ये यूएस कंपनी, युवराज ने लगाया पैसा

 भारत के बर्गर मार्केट में, मैकडॉनल्ड बड़ा नाम है। लेकिन एक के बाद एक इंटरनेशनल फास्ट फूड कंपनियां भारत में इन्वेस्ट करके मार्केट हथियाने में लगी हैं। ताजा एंट्री अमेरिकी कंपनी कार्ल्स जूनियर की है। नौ जुलाई को कार्ल्स जूनियर ने देश में अपना पहला रेस्टोरेंट दिल्ली के सेलेक्ट सिटी वॉक मॉल में खोला है। मैकडॉनल्ड से टक्कर लेने के लिए कंपनी ने क्रिकेटर युवराज सिंह से भी हाथ मिलाया है। युवराज सिंह की कंपनी यूवीकैन ने इस ब्रांड में पैसे लगाए हैं।
1941 में हुई थी कार्ल्स जूनियर की शुरुआत

अमेरिकन फास्ट-फूड चेन, कार्ल्स जूनियर सबसे पहले 1941 में खुला था। यह अपने जूसी बर्गर और मिल्कशेक के लिए दुनिया में फेमस है। इसका सिस्टर ब्रांड ‘हार्डिस’ मध्य पूर्व में काफी पसंद किया जाता है।
भारत के लिए किया मेन्यू में बदलाव, मिलेंगे ये बर्गर
अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कार्ल्स जूनियर अपने चारग्रिल्ड चिकन बर्गर के लिए फेमस है। मगर भारत में इसने अपने मेन्यु में काफी बदलाव किए हैं। कार्ल्स जूनियर पहली बार वेज बर्गर बेच रहा है और इनके नाम भारतीय तर्ज पर ही रखे गए हैं। ताकि लोगों को आसानी से जोड़ा जा सके। भारत में यह बर्गर तंदूरी पनीर बर्गर, आलू अचारी और पनीर टिक्का नाम से मिलेंगे। इसके साथ ही कार्ल्स जूनियर अपने फेमस स्टार और सुपर स्टार बर्गर भी भारत में बेचेगा।

भारत में सिबिज ब्राइटस्टार ने कराई कार्ल्स जूनियर की एंट्री
भारत में कार्ल्स जूनियर की एंट्री गुड़गांव के सिबिज ब्राइटस्टार रेस्टोरेंट ने कराई है। सिबिज ब्राइटस्टार इस चेन के विस्तार के लिए 200 करोड़ रुपए इन्वेस्ट करेगा। कंपनी की योजना अगले 10 सालों में देश भर में 100 कार्ल्स जूनियर रेस्टोरेंट खोलने की है। भारत में बर्गर के कई ब्रांड पहले से ही मौजूद हैं ऐसे में कार्ल्स जूनियर के सामने प्रीमियम बर्गर मार्केट में अपनी अलग जगह बनाने की बड़ी चुनौती होगी।
पिछले पांच सालों में इन ब्रांड्स की हुई एंट्री
पिछले पांच सालों में, कई बड़े इंटरनेशनल ब्रांड्स ने भारत में एंट्री की है। इनमें से स्टारबक्स, क्रिस्पी क्रीम, बिग-बर्गर, वेंडिज, फैटबर्गर, बार्सेलोस, जॉनी रॉकेट्स, बर्गर किंग आदि शामिल हैं।
फिलहाल मैकडॉनल्डस है भारत का स्टार
सन् 1965 में अमेरिका के बाहर कनाडा में पहला मैकडॉनल्ड्स खुला था। इसी साल मैकडॉनल्ड्स को पब्लिक लिमिटेड कंपनी बनाया गया था। मैकडॉनल्ड्स ऐसी फास्ट फूड चेन है, जिसका तेजी से ग्लोबलाइजेशन हुआ। सन 1994 तक दुनिया के 79 देशों में 15 हजार मैकडॉनल्ड्स रेस्त्रां स्थापित हो गए थे। सन 1996 में भारत दुनिया का 95वां देश था जहां मैकडॉनल्ड्स पहुंचा।
अब दुनिया के 119 देशों में है मैक-डी
आज दुनिया के 119 देशों में 31 हजार से ज्यादा काउंटर सर्विस, वॉक व ड्राइव-थ्रू सर्विस के इनडोर व आउटडोर सीटिंग वाले 31 हजार से ज्यादा मैकडॉनल्ड्स रेस्त्रां हैं जिनकी सालाना बिक्री 23 बिलियन डॉलर से ज्यादा है।