Tuesday, May 17, 2016

Salman Khan Watches Sports Bike STUNT Gone Wrong


Salman Khan and Shah Rukh Khan dance together at Preity Zinta's wedding reception

Salman Khan and Shah Rukh Khan dance together at Preity Zinta's wedding reception

The star-studded post-wedding bash of Preity Zinta was definitely a night to remember! The actress’ close friends were present to convey their best wishes to the new couple. From Salman Khan, Shah Rukh Khan, Madhuri Dixit to Abhishek Bachchan and Shahid Kapoor... everyone was present at the do.

However, we hear that Salman Khan was being the perfect gentleman and was seen introducing his alleged girlfriend Iulia Vantur to everyone at the party. Not only that, Salman even pulled Abhishek Bachchan on the dance floor as Ab Jr was making a quick exit. Salman made sure that Abhishek dances with him on a medley of Bollywood songs. What's more, Shah Rukh Khan joined the two and then there was no stopping them. The trio were grooving till the wee hours of morning.

Jodhpuri Safa साफे पहनाने के हुनर ने दिलाया जोधपुर के इस शख्स को 'पद्मश्री'

करीब आठ पीढिय़ों से हर तरह के साफे बांधने वाला तय्यब का परिवार अब न केवल इस देश में बल्कि पूरे विश्व में ख्यातनाम हो चला है। साफे की परंपरा यूं तो काफी पुरानी है, लेकिन तय्यब का मानना है कि साफा उनके घर से ही शुरू हुआ और आज पूरे विश्व में जोधपुरी साफे का अलग ही अंदाज है। तय्यब में साफे पहनाने का जुनून और हुनर ही ऐसा था कि उनकी इसी कला ने उन्हें पद्मश्री जैसे ख्यातनाम पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। जी हां, ऐसा है अपने जोधपुर का साफा। जो आज भी पाश्चात्य संस्कृति के देशों में भी अपनी अलग छाप छोड़ता है। और तो और जोधपुरी साफे की बंधाई के लिए तय्यब अब सिर्फ जोधपुर में नहीं बल्कि इटली, स्विट्जरलैंड और यूरोपीय देशों में जा रहे है। जोधपुरी साफा जिसकी पहचान न सिर्फ मारवाड़ में बल्कि पूरे विश्व में है।
साफा बांधने के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध तय्यब खान का कहना है कि हमारा परिवार आठ पीढिय़ों से साफा बांधने का कार्य कर रहा है। पहले मुझे भी अलग-अलग स्टाइल से साफा बांधने का जुनून था, लेकिन घरवालों का यह पेशा अब मेरा भी पेशा बन गया है। साफे की शुरुआत ही हमारे घर से हुई है। वर्ष 1925 में मेरे दादा न्याज मोहम्मद इंग्लैंड में जब मारवाड़ की पोलो टीम जाया करती थी तो वे भी उनके साथ जाते थे साफा बांधने के लिए। परंपरा कई दशकों से चली आ रही है। मैंने जब यह कार्य शुरू किया था तो एक ही इच्छा थी कि पारंपरिक साफों के साथ ही कुछ नए स्टाइल के साफे भी बांधेंगे। मैं प्रयोग करता रहा और अब पारंपरिक साफों के साथ ही नए स्टाइल के साफे भी हम बांधते है। हालांकि विदेशों में नए स्टाइल के साफों के साथ ही आज भी पारंपरिक साफों की डिमांड ज्यादा है। मैं जब भी विदेशों में साफे बांधने के लिए जाता हूं तो वहां पर दोनों ही डिमांड रहती है। साफे को बांधने की कला ने ही मुझे आगे बढ़ाया है। उन्होंने बताया कि साफे के कारण ही आज मेरा नाम  इंटरनेशनल आर्टिजन में भी शामिल है।