Wednesday, August 26, 2015

'शोले' के रहीम चाचा की अंतिम यात्रा में पहुंची थीं प्रियंका, दिखे थे कई सेलेब्स

1975 की सुपरहिट फिल्म 'शोले' के रहीम चाचा यानी एक्टर ए. के. हंगल 26 अगस्त 2012 को दुनिया को अलविदा कह गए थे। जब उनकी अंतिम यात्रा निकली तो शशि कपूर, प्रियंका चोपड़ा, दीया मिर्जा, अर्जुन रामपाल, अवतार गिल, डैनी डेन्जोंगपा, रंजीत, रजा मुराद और इला अरुण जैसी कई बॉलीवुड हस्तियां उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंची थीं। हालांकि, इस दौरान फिल्म 'शोले' में उनके साथ काम कर चुके कलाकार अमिताभ बच्चन, धर्मेंद्र और हेमा मालिनी नजर नहीं आए थे। बता दें कि ए. के. हंगल को बॉलीवुड अभिनेता ही नहीं, बल्कि फ्रीडम फाइटर के रूप में भी जाना जाता था। 1929 से 1947 तक उन्होंने आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण योगदान दिया था।

2006 में बॉलीवुड में सराहनीय योगदान के लिए पद्मभूषण से सम्मानित हुए हंगल साहब के पास आखिरी वक्त में इतना पैसा भी नहीं था कि वे अपना इलाज करा सकते। इस दौरान जया बच्चन, मिथुन चक्रवर्ती और सलमान खान जैसे कई स्टार्स उनकी मदद के लिए आगे आए। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने उनके इलाज के लिए 50 हजार रुपए दिए थे, लेकिन भाग्य को कुछ और ही मंजूर था। 26 अगस्त 2012 को हंगल साहब का निधन हो गया था। मुंबई में उनका अंतिम संस्कार किया गया था, जिसमें बॉलीवुड की कई हस्तियां शामिल हुई थीं।

'शोले' के अलावा कुछ चुनिंदा फिल्में, जिनमें ए. के. हंगल ने किया था काम :

शागिर्द (1967), बावर्ची (1972), अभिमान (1973), नमक हराम (1973), आपकी कसम (1974), दीवार (1975), चितचोर (1976), ईमान धरम (1977), बेशरम (1978), खानदान (1979), जुदाई (1980), नरम गरम (1981), शौक़ीन (1982), अवतार (1983), शराबी (1984), मेरी जंग (1985), डकैत (1987), खून भरी मांग (1988), फरिश्ते (1991), खलनायक (1993), दिलवाले (1994), शरारत (2002) और पहेली (2005)

यहां 1000 लोग डेली ऐसे बनाते 3 लाख+ लड्डू, इन्हें बेचने पर मिलते हैं 200 cr रु

1- देश के 4 बड़े मंदिरों (तिरुपति, शिर्डी साईं बाबा, सिद्धि विनायक और काशी विश्वनाथ) की एक दिन की औसत कमाई 8 करोड़ रुपए और हर मिनट कमाई 55 हजार रुपए है। इसमें से अकेले करीब 7 करोड़ रुपए दान तिरुपति मंदिर के पास आता है। इतना दान एक दिन में पाने वाले ये इकलौते भगवान हैं। तिरुपति मंदिर के भगवान 24 घंटे 70 किलो सोने की ज्वैलरी पहने रहते हैं।
2- तिरुपति मंदिर में करीब एक हजार लोग मिलकर 3 लाख से ज्या़दा लड्डू बनाते हैं। इन्हें बेचकर मंदिर को सालाना करीब 200 करोड़ रुपए की कमाई होती है।
3- 1200 नाईं महिलाओं के बाल काटने के लिए तिरुपति मंदिर में रखे गए हैं। इन बालों को बेचकर मंदिर को सालाना 220 करोड़ रुपए की कमाई होती है। मंदिर सालाना 850 टन बाल बेचता है। 283.5 ग्राम औसत वजन वाला महिलाओं का बाल 17900 रुपए में बिकता है। 453.6 ग्राम वजन के लंबे बालों के 29,900 रु मिलते हैं।

4- देश के मंदिरों के पास 50 लाख करोड़ रुपए की कीमत का कुल 22 हजार टन (करीब 20 लाख क्विंटल) सोना है।

5- इतने पैसे में पूरा देश 60 साल (21 हजार दिन) तक फ्री में अनलिमिटेड इंटरनेट यूज कर सकता है। (एक साल में भारतीय 82 हजार करोड़ रुपए का इंटरनेट इस्तेमाल करते हैं।)
अब जरा देश के इन 2 अनोखे मंदिरों पर नजर डालें...
1- चिलकुर बालाजी मंदिर
देश में एक मंदिर ऐसा भी है जहां दान देना सख्त मना है। वीजा टेंपल के नाम से मशहूर हैदराबाद के चिलकुर बालाजी मंदिर में कोई हुंडी या दान पात्र नहीं है। मंदिर अपना खर्च परिसर के बाहर बने पार्किंग से आए पैसों से चलाता है। मंदिर प्रबंधन का मानना है कि श्रद्धालुओं को ये पैसा मंदिर की दान पेटी में डालने की जगह गरीबों और जरूरतमंदों पर खर्च करना चाहिए। इससे ज्यादा पुण्य मिलेगा। हफ्ते में सिर्फ 3 दिन खुलने वाले मंदिर में 70 हजार से 1 लाख श्रद्धालु आते हैं। मान्यता है कि विदेश जाने की इच्छा रखने वाले लोग अगर इस मंदिर में 108 परिक्रमा करते हैं तो उन्हें वीजा जरूर मिल जाता है।
2- भ्रष्ट तंत्र विनाशक शनि मंदिर
कानपुर में स्थित ये देश का इकलौता ऐसा मंदिर हैं जहां न्यायधीश, नेता, सांसद, विधायक और मंत्रियों का प्रवेश वर्जित है। मंदिर प्रबंधन का मानना है कि देश में फैले भ्रष्टाचार के लिए यही लोग जिम्मेदार हैं। ऐसे में ये मंदिर के अंदर नहीं आ सकते हैं।
अब ये बताइए, क्या अापने कभी सोचा इन मंदिरों के पास आखिर पैसा आता कहां-कहां से है और ये इतने पैसे का करते क्या हैं? देश के 4 बड़े मंदिरों (तिरुपति, शिर्डी साईं बाबा, सिद्धि विनायक और काशी विश्वनाथ) के माध्यम से dainikbhaskar.comअापको बताने जा रहा है कि मंदिर आपके दान किए हुए पैसों का कैसे करते हैं इस्तेमाल... आगे की स्लाइड्स पर क्लिक कर पढ़ें मंदिरों से जुड़ी ये स्पेशल रिपोर्ट... साथ ही जानें, इस पैसे से और क्या-क्या मिल सकता है फ्री में...
दिलचस्प है कि dainikbhaskar.com ने इस एक्सक्लूसिव रिपोर्ट को बनाने के लिए मंदिरों से जुड़ी 9 हजार से ज्यादा पेज की अलग-अलग रिपोर्ट अपने सोर्स की मदद से मंगाई। इसकी स्टडी कर देश के 4 बड़े मंदिरों में आपके दान के इस्तेमाल के बारे में बताया। dainikbhaskar.com के पास 9 हजार पेज की ये रिपोर्ट मौजूद है।
कंटेंट सोर्स: चारों मंदिरों की ऑडिट रिपोर्ट। सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक मंदिर के खजाने की जांच के लिए बनाई कमेटी के चेयरमैन और पूर्व कैग विनोद राय। कर्नाटक के पूर्व देवस्थान (Muzrai) मंत्री प्रकाश बब्बाना हुकेरी। तिरुपति तिरुमला ट्रस्ट के चीफ अकाउंट ऑफिसर एस. रविप्रसादन, सिद्धि विनायक मंदिर ट्रस्ट के चेयरमैन नरेंद्र मुरारी राणा, काशी विश्वनाथ मंदिर के डिप्टी सीईओ वी. के. द्विवेदी, सुप्रीम कोर्ट के सीनियर लॉयर विराग गुप्ता, गोपाल सुब्रमण्यम की मंदिर पर आधारित रिपोर्ट और इंटरनेट रिसर्च।

भारत का रहस्यमय मंदिर, अंग्रेज इंजीनियर भी नहीं सुलझा सका इसकी गुत्थी

, भारत के दक्षिणी राज्य आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले के एक छोटे से ऐतिहासिक गांव लेपाक्षी में 16 वीं शताब्दी का वीरभद्र मंदिर है। इसे लेपाक्षी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह रहस्यमयी मंदिर है, जिसकी गुत्थी दुनिया का कोई भी इंजीनियर आज तक सुलझा नहीं पाया।
ब्रिटेन के एक इंजीनियर ने भी इसे सुलझाने की काफी कोशिश की थी, लेकिन वह भी नाकाम रहा। मंदिर का रहस्य इसके 72 पिलरों में एक पिलर है, जो जमीन को नहीं छूता। यह जमीन से थोड़ा ऊपर उठा हुआ है और लोग इसके नीचे से कपड़े को एक तरफ से दूसरे तरफ निकाल देते हैं।
मंदिर का निर्माण विजयनगर शैली में किया गया है। इसमें देवी, देवताओं, नर्तकियों, संगीतकारों को चित्रित किया गया है। दीवारों पर कई पेंटिंग हैं। खंभों और छत पर महाभारत और रामायण की कहानियां चित्रित की गई हैं।
मंदिर में 24 बाय 14 फीट की वीरभद्र की एक वाल पेंटिंग भी है। यह मंदिर की छत पर बनाई गई भारत की सबसे बड़ी वाल पेंटिंग है। पौराणिक कथाओं के अनुसार वीरभद्र को भगवान शिव ने पैदा किया था। मंदिर के सामने विशाल नंदी की मूर्ति है। यह एक ही पत्थर पर बनी हुई है और कहा जाता है कि दुनिया में यह अपनी तरह की नंदी की सबसे बड़ी मूर्ति है।
वीरभद्र मंदिर का निर्माण दो भाइयो विरन्ना और विरुपन्ना ने किया था। वे विजयनगर साम्राज्य के राजा अच्युतार्य के अधीन सामंत थे।
लेपाक्षी गांव का रामायण कालीन महत्व है। यहां के बारे में एक किवदंती प्रचलित है कि जब रावण सीता का हरण करके लिए जा रहा था, तब जटायु ने उससे युद्ध किया था। इसके बाद घायल होकर जटायु यहीं गिर गया था। भगवान राम ने जटायु को घायल हालत में यहीं पाया था और उन्होंने उससे उठने के लिए कहा था। ले पाक्षी का तेलुगु में अर्थ है- उठो, पक्षी।

Floyd Mayweather के पास है 386 करोड़ रुपए का लग्जरी कार कलेक्शन, कुछ ऐसी है लाइफ...