विशाल सिक्का ने जब एक साल पहले देश की दूसरी सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर सर्विस प्रोवाइडर इंफोसिस की कमान संभाली थी, तो कंपनी नेतृत्व के संकट से जूझ रही थी। नेतृत्व का यह संकट इतना गहरा था कि प्रबंधन को 2011 में सेवानिवृत्त हो चुके इंफोसिस के को-फाउंडर और पूर्व चेयरमैन एन आर नारायण मूर्ति को जून 2013 में कंपनी में एक्जीक्यूटिव चेयरमैन के रूप में वापस लाना पड़ा। एक साल की मशक्कत के बाद उन्हें विशाल सिक्का मिले और अगस्त 2014 में उनकी ताजपोशी की गई। अब विशाल सिक्का को एक साल पूरा हो चुका है। 2.43 लाख करोड़ रुपए की कंपनी की ग्रोथ को देखते हुए कहा जा सकता है कि विशाल इस पद के सही दावेदार साबित हुए।
सिक्का के नेतृत्व में छू ली बुलंदियां
जून 2015 को खत्म हुए क्वार्टर में इंफोसिस की आय 7 फीसदी बढ़ गई, जो पिछली 15 तिमाहियों में सबसे ज्यादा है। अगस्त 2014 से ही विशाल सिक्का ने कंपनी की कमान संभाली थी। तब से अब तक कंपनी को अच्छी ग्रोथ हासिल हुई है।
सीईओ बनने से पहले भी इंफोसिस में थे सिक्का
विशाल सिक्का इंफोसिस से पहले सैप के एक्जीक्यूटिव बोर्ड मेंबर रह चुके हैं। आपको बता दें कि विशाल सिक्का ऐसे पहले बाहरी व्यक्ति हैं,जिन्हें इंफोसिस का फाउंडर न होने के बावजूद सीईओ के रूप में चुना गया। सिक्का ने अपनी स्कूलिंग बड़ौदा के रोजरी हाईस्कूल से पूरी की। उनके पिता बतौर रेलवे ऑफिसर इसी शहर में तैनात थे। बड़ौदा की एसएस यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग करने के बाद सिक्का ने अमेरिका की सायराकूज यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर की पढ़ाई की। सिक्का ने अमेरिका की स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी डॉक्टरेट किया। सिक्का सिलिकॉन वैली का एक जाना-माना चेहरा हैं और SAP के संस्थापक हैसो प्लैटनर के बेहद करीबी रहे हैं।
भारत से जुड़ी विशाल की यादें
मध्य प्रदेश के शाजापुर शहर में जन्मे विशाल सिक्का के पिता भारतीय रेलवे में अफसर थे। उनके ट्रांसफर के बाद सिक्का का परिवार बड़ौदा शिफ्ट कर गया। विशाल सिक्का की प्राइमरी एजुकेशन की शुरुआत बड़ौदा के रोजरी हाई स्कूल से हुई। एमएस यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन करने के बाद आगे की पढ़ाई के लिए वे विदेश चले गए। जहां उन्होंने पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी से आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस में पीएचडी की।
माइक्रो ब्लॉगिंग का शौक
विशाल सिक्का लगातार माइक्रो ब्लागिंग साइट ट्विटर पर अपने दोस्त, कर्मचारियों और चाहने वालों से संपर्क में रहते हैं। ट्विटर पर उनके करीब 18 हजार फॉलोअर हैं। जहां वे टेक्नोलॉजी से जुड़ी हर बात पर लोगों का जवाब देते हैं। खास बात है कि इंफोसिस के नारायण मूर्ति ने उनकी नियुक्ति की घोषणा भी ट्विटर के जरिए की।