पॉपुलर ब्रांड्स का मार्केट से गायब हो जाना नया नहीं है। हां, अगर वह ब्रांड्स या कंपनियां मार्केट में दोबारा लौट आती हैं तो इसे अनोखा माना जाता है। कोडक, कॉम्पैक जैसे पॉपुलर ब्रांड्स बदलती टेक्नोलॉजी का मुकाबला नहीं पर पाए और अचानक ही बाजार से गायब हो गए। यह ब्रांड्स दोबारा वापसी भी नहीं कर सके। लेकिन, कुछ ब्रांड ऐसे भी रहे जो एक वक्त बंद होने की कगार पर आ गए थे और उन्होंने वहां से जोरदार तरीके से वापसी की। एप्पल, ओल्ड स्पाइस, फॉक्सवैगन ऐसी ही कुछ ब्रांड हैं। प्रोडक्ट को बदलने और मार्केटिंग स्ट्रैटजी पर खर्च बढ़ाने से इन्होंने अपनी जगह और पहचान दोबारा हासिल कर ली। आज यह करोड़ों डॉलर का कारोबार कर रहे हैं। आइए जानते हैं कुछ ऐसे ही ब्रांड्स की कहानी...
एप्पल
1976 में स्वीट जॉब्स ने अपने दो साथियों के साथ एप्पल कंप्यूटर की नींव रखी थी। 1980 तक आते-आते यह कंपनी दुनिया के सबसे बड़े पर्सनल कंप्यूटर मैन्युफैक्चरर्स में एक हो गई। हालांकि 1985 में कुछ विवाद के बाद स्टीव जॉब्स ने एप्पल से नाता तोड़ दिया और जॉन स्क्रूली ने इसकी कमान संभाली। स्क्रूली के नेतृत्व में कुछ दिनों तक तो एप्पल ने ठीक-ठाक कारोबार किया लेकिन बाद में उसकी हालात बिगड़ने लगी। 1990 तक कंपनी का प्रदर्शन बेहद खराब हो गया। एक समय कंपनी के बंद करने की नौबत आ गई। 1997 में जॉब्स ने एप्पल में दोबारा वापसी की। उस वक्त एप्पल को माइक्रोसॉफ्ट से 1.50 करोड़ डॉलर का इंवेस्टमेंट मिला। 1998 में कंपनी ने आईमैक और 2001 में आईपॉड को लांच किया। इन प्रोडक्ट्स के जरिए एप्प्ल ने मार्केट में जोरदार वापसी की। 2007 में कंपनी का नाम एप्पल इंक हो गया।
जनरल मोटर्स
अमेरिका में 2008 में सबप्राइम संकट गहराने के बाद यहां के दिग्गज बैंकों और कंपनियों के दिवालिया होने का जो भयावह दौर शुरू हुआ, वह खत्म नहीं हुआ। इस सूची में एक ऐसी कंपनी का नाम जुड़ गया, जो पिछले 77 वर्ष से न केवल अमेरिकी बल्कि समूचे ग्लोबल ऑटोमोबाइल मार्केट पर राज कर रही थी। यह कंपनी थी जनरल मोटर्स कॉरपोरेशन। लगातार घटती बिक्री और गैस के चढ़ते दाम के कारण जनरल मोटर्स की हालत इस कदर खस्ता हो गई कि उसने खुद को दिवालिया घोषित करने का अप्लीकेशन दे दिया। कंपनी ने खुद पर 172.81 अरब डॉलर का कर्ज होने की सूचना दी। मंदी की मार झेल चुकी वाहन बनाने वाली 102 वर्ष पुरानी जीएम ने 2010 में उस वक्त तक दुनिया के सबसे बड़े आईपीओ के जरिए 22.1 अरब डॉलर जुटाकर धमाकेदार वापसी की। वहीं, कंपनी का मुनाफा 4.7 अरब डॉलर पर पहुंच गया। 2004 के बाद कंपनी का यह सर्वाधिक मुनाफा था।
मार्वल
कॉमिक बुक इंडस्ट्री में सबसे बड़ा ब्रांड मार्वल को माना जाता था, जिसने स्पाइडर-मैन, एक्स–मैन और द हल्क जैसे पॉपुलर किरदारों को बनाया। लेकिन मार्वल की सफलता से पहले वह एक समय पर बंद होने की कगार पर आ गई थी। 1996 में कॉमिक बुक और ट्रेडिंग कार्ड की सेल्स घटने से कंपनी ने दिवालिया के लिए आवदेन भर दिया था। लेकिन, 2000 में कंपनी ने एक्स-मैन मूवी को रिलीज किया जिससे उसे दुनिया भर से करीब 30 करोड़ डॉलर की कमाई हुई। दो साल बाद, स्पाइडर-मैन रिलीज हुई और डिज्नी ने 4 अरब डॉलर में खरीदा। इसके बाद ‘एक्स-मैन: फस्ट क्लास’ को रिलीज किया, जिससे 35.3 करोड़ डॉलर की कमाई हुई।
ओल्ड स्पाइस
मेल ग्रूमिंग प्रोडक्ट में ओल्ड स्पाइस दुनिया भर के बड़े ब्रांड में से एक है। 1934 में इस ब्रांड की नींव रखी गई थी, जिसे 1990 में प्रॉक्टर एंड गैम्बल ने खरीद लिया। उस वक्त तक उसकी सेल्स काफी नीचे जा चुकी थी। इस ब्रांड को लोगों ने खरीदना ही बंद कर दिया था। मार्केट से ब्रांड के गायब होने का खतरा मंडराने लगा था। हालांकि, बाद में प्रॉक्टर एंड गैम्बल (पीएंडजी) ने एग्रेसिव तरीके से इसकी मार्केटिंग की। इसके बाद मार्केट में ओल्ड स्पाइस रेड जोन को पेश किया और ऐड कैम्पेन को नए तरीके से लॉन्च किया गया। इसका फोकस युवाओं को रखा गया। इसका पॉजीटिव असर ब्रांड पर हुआ और 2010 में कंपनी की सेल्स 107 फीसदी तक बढ़ गई।
ओल्ड स्पाइस
मेल ग्रूमिंग प्रोडक्ट में ओल्ड स्पाइस दुनिया भर के बड़े ब्रांड में से एक है। 1934 में इस ब्रांड की नींव रखी गई थी, जिसे 1990 में प्रॉक्टर एंड गैम्बल ने खरीद लिया। उस वक्त तक उसकी सेल्स काफी नीचे जा चुकी थी। इस ब्रांड को लोगों ने खरीदना ही बंद कर दिया था। मार्केट से ब्रांड के गायब होने का खतरा मंडराने लगा था। हालांकि, बाद में प्रॉक्टर एंड गैम्बल (पीएंडजी) ने एग्रेसिव तरीके से इसकी मार्केटिंग की। इसके बाद मार्केट में ओल्ड स्पाइस रेड जोन को पेश किया और ऐड कैम्पेन को नए तरीके से लॉन्च किया गया। इसका फोकस युवाओं को रखा गया। इसका पॉजीटिव असर ब्रांड पर हुआ और 2010 में कंपनी की सेल्स 107 फीसदी तक बढ़ गई।
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