शहर में स्थित रावण प्रतिमा का भी काफी पुराना इतिहास है। इसी के चलते यहां दशहरे 22 अक्टूबर को रावण प्रतिमा की पूजा होगी और शाम को आतिशबाजी कर प्रतीकात्मक वध किया जाएगा। नामदेव समाज सहित रावण प्रतिमा के आसपास रहने वाले कई लोग परिवार व समाज को बीमारी व आपदा से दूर रखने के लिए रावण प्रतिमा के पैर में लच्छा भी बांधेंगे। वहीं पास ही ग्राम धमनार में राम-रावण की सेना के बीच युद्घ होगा और बाद में रावण प्रतिमा की नाक पर मुक्का मारकर वध किया जाएगा।
शहर के खानपुरा में स्थित रावण प्रतिमा अतिप्राचीन है। पहली बार कब बनी, इसे लेकर काफी संशय है। पर दो-तीन बार बरसात के मौसम में यह बिजली का शिकार होकर टूट भी गई थी। बाद में 2002-03 में नपा ने इसका जीर्णोद्घार कराया था। रावण प्रतिमा को लेकर कई तरह की मान्यताएं भी प्रचलित हैं। कुछ लोग रावण की पत्नी मंदोदरी का मायका प्राचीन दशपुर को मानते हैं। इसी कारण शहर का नाम भी मंदसौर हुआ और खानपुरा क्षेत्र में रावण की पूजा भी होती है। हालांकि इसके ऐतिहासिक प्रमाण नहीं मिले हैं।
बीमार होने पर बांधते हैं लच्छा
खानपुरा क्षेत्र में रहने वाले पुराने लोगों की आस्था अभी भी रावण बाबा में है। इसके चलते घरों में बच्चों या बढ़ों को बुखार आने या अन्य बीमारी होने पर रावण प्रतिमा के पैरों में लच्छा बांधने के साथ ही अगरबत्ती लगाने की परंपरा है। खासकर नामदेव वैष्णव समाज के लोग अभी रावण की पूजा करते हैं। तो कुछ अन्य समाज की महिलाएं प्रतिमा के सामने से निकलते समय घूंघट निकालती हैं। वे रावण को जमाई मानती हैं।
श्री नामदेव वैष्णव समाज द्वारा 22 अक्टूबर को सुबह 9 बजे खानपुरा स्थित बड़ा मंदिर से लच्छा बांधने के लिए रावण प्रतिमा के पास जाएंगे। वहां पूजन कर लच्छा बांधा जाएगा। शाम 4 बजे बड़ा मंदिर खानपुरा से बलवीर व्यायामशाला के साथ राम रथ अखाड़े के साथ दशहरा मैदान पहुंचकर रावण का प्रतीकात्मक वध किया जाएगा।
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Thursday, October 22, 2015
मंदसौर का दामाद माना जाता है रावण को, दशहरे पर होती है पूजा
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